CACTUS का फूल
दिवाली नजदीक आ रही थी। श्याम की बहू पूरी तैयारी में लगी थी। श्याम का ब्याह हुए अभी दो ही माह हुए थे, घर मे ज्यादा खुशी का माहोल नही था। श्याम की माँ ने बहुत उत्साह से उसके ब्याह का हर काम किया था। माँ चाहती थी की इस बार की दिवाली नयी बहू के साथ हो।
पर प्रभू की इच्छा के आगे किसकी चली है।ब्याह संपन हुआ और अगले ही दिन श्याम की माँ ने खाट पकड़ ली। कुछ दिन तो यही सोचकर निकल गये की ब्याह की थकान होगी। पर जब स्वास्थ्य मे कोई सुधार नही हुआ तो डॉक्टर के पास ले गये। पता चला, माँ की kidney ठीक से काम नही कर रही थी। कुछ और जाच करयी गयी। डॉक्टर ने माँ का तुरन्त dialysis शुरु करने की सलाह दी। बस फिर क्या था, श्याम और माँ हॉस्पिटल आने जाने मे व्यस्त हो गये। बहू ने घर संभल लिया।
बहू को फूल-पधो का बड़ा शौक था, चले-चौके से समय निकल कर बागवानी करती। उसने कई सारे फूल लगाये थे, माँ घंटो उन्हे निहारती। माँ को बडि टीस होती की बहू सारा काम अकेले करती। पर कमजोरि और बीमारी के चलते कुछ ना कर पाती। एक दिन उसका ध्यान अगंन मे लगे नाये पौधे पे गया। माँ ने तुरन्त बहू से पुछा, "यह इतना काटे दार पौधा क्यूँ लगया?" बहू ने उत्तर मे बताया, "काम देखभाल के टिक जता है और पानी भी ज्यादा नही लगता।"
माँ रोज उस पौधे को देखती और सोचती मे भी इस पौधे की तरह हू, बहू बेते के सुन्दर घर-बार मे चिंता का काटा। फिर सोचती वह पौधा तो फिर भी कम तकलीफदेह है, बीमारी ने तो उसे पूरी तरह आश्रित बना दिया था।
दिन बितने लगे, दिवाली की तैयारी मे बहू ने खुब सारे गेंदे के पौधे लगा दिये। उनसे दिवाली की पूजा के फूल जो आते।
माँ कुछ ठीक होने लगी थी, पर मन की निराशा उसे पूरी तरह से उभरने नही दे रही थी। एक दिन आंगन मे बैठे, माँ की नज़र पडी उसी काटेदार cactus पर। उसे देख माँ अस्चर्या मे आ गयी। एक नन्हीसी कली देख उसमे माँ का चित्त प्रसन्न हो गया। माँ ने बहू को अवाज लगायी और कली दिखायी। अब वही पौधा जिसे माँ धब्बा समझ रही थी, खुब सुन्दर फूल देने वाला था। उसे देख माँ के मन मे बदलाव आने लगा, उसने निराशा छोड खुश रेहने का निस्चय किया।
कहते है ना "मन के हरे हार हैं, मन के जीते जीत"।
माँ में अए इस बदलाव से श्याम और बहू भी प्रसन्न थे। दिवाली आयी, बहू ने पुरा घर अच्छे से सजाया।गेंदे के फूलो की खुब लदिया जगह-जगह लगायी। घर महक रहा था, त्योहार और पकवान की महक से।
समय से लक्ष्मी आरती हुई, लक्ष्मी माँ के चरणो मे था, आशा का चिन्ह, "Cactus का फूल"
Very well linked with cactus flower
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DeleteVery nice Nidhi 😘
ReplyDeleteThanks for stopping by
DeleteVery nice
ReplyDelete🙏
DeleteVery beautiful and inspiring story.
ReplyDeleteThanks for stopping by
DeleteRightly said
ReplyDeletethanks Divya!
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