हमारी व्यथा
"यार कितने दिन हो गये, हमरी बारि कब आयेगी"
"एक हम ही बचे है, कितने दिन हो गये"
"अब सहन नही होता"
"हमे भी special treatment की जरूरत है"
"हल्के गरम पानी की बौछार"
"हल्के हल्के झाग से गुद गुदी करती पानी की तरंगे"
"हम ना काम करे तो निवाला ना पहुचें मूह तक"
"और हमारी कोई चिंता नही"
"हमारे गुण नही दिखते इन्हें"
"जब तक हम ना घिसे, भूक ना मिटे"
"जब हम पिछवाडे पर पड़े, तो गलती मिटे"
"और देखो, हमारी इज़्ज़त ही नही करते यह लोग"
सोचिये, कौन बात कर रहा है।
आखिर हमारी बरी कब आयेगी नये Dishwasher मे spa की? आखिर कब???
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